Dussehra In Hindi. आज के हमारे इस टॉपिक में आपका स्वागत है और मेरे ब्लॉग के सभी रीडर को दशहरे के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाये| दोस्तों india में इस समय Festival Season चल रहा है और इस समय सभी दशहरे का इन्तजार कर रहे है और करें भी क्यों ना हिन्दुओ का इतना बड़ा पर्व जो है|
तो सबसे पहले तो आज की इस पोस्ट में हम इस पर बात करेंगे कि आखिर ये दशहरा क्या है और भारत में दशहरे का पर्व क्यों मनाया जाता है? वैसे आजकल इन्टरनेट का जमाना है तो मन तो नहीं किया कि आपको इसके बारे में भी बताया जाए कि ये क्या है और दशहरा क्या है और इस दिन क्या हुआ था क्योंकि आजकल इन्टरनेट के जमाने में आप आसानी से जान सकते है कि दशहरा क्यों मनाया जाता है लेकिन सभी की तरह मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि आपको इसके बारे में कुछ बताया जाए|
तो दोस्तों हम इस पोस्ट में इस दशहरे के पर्व की इस पोस्ट को कुछ स्पेशल बनाने वाले है और इस पर्व को दो तरफ़ा तरीके से पढेंगे कि कैसे और क्यों दशहरा मनाया जाता है और दूसरा ये कि मैं इसे अलग नजरिये से क्यों देखता हूँ|
दशहरा क्यों मनाया जाता है – Dussehra In Hindi
दोस्तों, दशहरा मनाने के पीछे हिन्दू धर्म में अलग अलग किवदंतियां है जो आज तक चली आ रही है लेकिन जो भी हो सबसे बड़ा कारण इसी को माना जाता है कि इस दिन अयोध्या के राजा भगवान रामचंद्र जी ने लंका के राजा रावण का वध किया था इसलिए इस पर्व को अधर्म पर धर्म की विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है|
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आइये विस्तार से जानते है-
Dussehra In Hindi – Dussehra Eassay In Hindi
पूरे भारत में बेहद ख़ुशी और हर्षोल्लास से मनाये जाने वाले इस त्यौहार दशहरे को विजयादशमी के नाम से भी जानते है जिसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है और इसके पीछे भी अधर्म पर धर्म की विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है|
कहते है कि सतयुग के समय की बात है| उस समय अयोध्या के नाम से एक नगरी हुआ करती थी जिनके राजा दशरथ हुआ करते थे| महाराज दशरथ के चार संतान हुयी थी जिनमे सबसे बड़े पुत्र का नाम राम (रामचंद्र जी) था | जब भगवान् राम का राज्याभिषेक होने वाला था तब उनकी एक माता के कारण उनको राजा की गद्दी पर ना बैठाकर उनको 14 वर्ष के लिये बनवास भेज दिया गया और केकई के पुत्र भरत को राजा बना दिया गया|
जब भगवान् राम बनवास के अंतिम दिनों में थे जब लंका के राजा रावण की बहन सुपनखा का नाक लक्ष्मण के द्वारा काट दिया गया और अपने इस अपमान का बदला लेने के लिये रावण की बहन ने अपने भाई को उकसाया और सीता का हरण करने के लिये कहा| रावण ने भी बदला लेने और माता सीता को पाने की लालसा से सीता का हरण कर लिया और फिर भगवान राम और रावण के बीच लंका में युद्ध हुआ और भगवान् राम के द्वारा रावण का वध कर दिया गया|
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भगवान् राम की लंका पर इस विजय के उपलक्ष में और अधर्म पर धर्म की जीत के लिये , अबला इस्त्री का हरण करने के लिये रावण को जो सजा दी गयी उसी समय से ये त्यौहार मनाने की परपरा चल पड़ी|
एक किवदंती ये भी है कि मां दुर्गा ने लगातार नौ दिन तक महिषासुर के साथ युद्ध किया था और दसवे दिन पापी महिशाशुर का वध किया था और इसी जीत के उपलक्ष में ये त्यौहार मनाया जाता है|
खैर , जो भी हो लेकिन भारत में हमेशा से ही त्योहारों का विशेष महत्त्व रहा है और चाहे किसी भी धर्म में कोई त्यौहार हो उन्हें हर्षोल्लास से मनाया जाता है
अब बात करते है दशहरे के इस वर्तमान में बदलते स्वरूप की|
सतयुग में जो भी हुआ उसी समय से हम ये त्यौहार मना रहे है और हम अपनी परम्परा को बचाये रखने के लिये ऐसा कर रहे है| अच्छी बात है होना भी चाहिये लेकिन असल में हम इस त्यौहार से सीखते क्या है और क्या वर्तमान में जिस रावण का वध किया जाता है , क्या वो सही है ! क्या हम मानते है कि हमने रावण को मार दिया !
जरा सोचिये !
सतयुग में भगवान् राम में रावण का वध किया और कलयुग में हम भी उसी रावण का वध कर रहे है| भगवान् राम ने अधर्म पर धर्म की विजय की लेकिन हम क्या कर रहे है ? क्या रावण को मारते वक़्त हम एक बार भी ये सोचते है कि हमारे अन्दर भी एक रावण है जिसका वध होना जरुरी है|
रावण अधर्मी था क्योंकि उसने सीता माता का हरण किया था और एक पतिवर्ता नारी के साथ दुर्व्यवहार किया था उसकी सजा उसको क्या मिली ? सीधी सी बात है अधर्मी को मौत की सजा मिलनी ही थी जो उसे मिली|
आज के समय में कितने रावण है और हर साल दशहरे में रावण को जलाते समय हम एक बार भी नहीं सोचते कि जब एक अपराध की सजा हम रावण को सदियों से देते आ रहे है तो जो अपराध हम कर रहे है उसकी सजा क्या होनी चाहिये|
दोस्तों, आज के समय में अगर एक अपराध की सजा मौत मिल जाए तो सच में कलयुग को भी सतयुग बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम कभी भी ऐसी सोच ही नहीं रखते|
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अरे ! हम क्या रावण को मारेंगे , रावण को जलाते समय सिर्फ एक बार सोच लेना कि क्या हम रावण बनने के लायक भी है या नहीं ! जब आप देखेंगे तो सोचेंगे कि रावण की बराबरी तो उस समय भी करने वाला कोई नहीं था तो आज के समय में कोई क्या होगा|
समझ नहीं आया ! चलिए मैं आपको बताता हूँ कि असल में रावण कौन था?
— जैसा कि आप जानते है कि रावण लंका का राजा था और एक राजा होने के साथ साथ वह एक कुशल राजनीतिज्ञ भी था और कहा जाता है कि रावण के समय में उसकी जनता सब और से सुखी थी और सपन्न थी|
— रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ वास्तुकला में भी निपुण था | रावण को प्रथ्वी का सबसे पहला शिल्पकार भी कहा जाता था|
— वर्तमान में श्रीलंका में जैन धर्म बहुत है और जैन धर्म के श्रेष्ठ पुरुषो में रावण की गिनती की जाती है|
— रावण खुद श्रीलंका का था और उसकी रानी मंदोदरी मंडोर जो कि वर्तमान में जोधपुर ( राजस्थान ) में आता है, से थी वहां आज भी रावण के विवाह का मंडप विद्यमान है|
— रावण के पास एक विमान था जिसे पुष्पक विमान कहा जाता है और ये अपने समय का सबसे पहला विमान था और इसकी सबसे ख़ास बात ये थी कि ये अपनी आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा हो सकता था| रावण युद्ध में इसी विमान का उपयोग किया करता था|
— रावण खुद चारो वेदों का ज्ञाता था अत हम कह सकते है कि रावण एक परम ज्ञानी था|
— रावण मायावी था और उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वो सम्मोहन और जादू टोने के बारे में अच्छी तरह से जानता था|
— रावण ने एक अच्छे राजा का फ़र्ज़ हमेशा निभाया इसलिए उसने अपनी नगरी को सोने से मंडवा रखा था जो कि एक दुर्लभ नगरी थी|
— रावण अधर्मी था लेकिन वो एक अच्छा पति भी था क्योंकि सीता माता को पाने की लालसा होते हुए भी उसने मंदोदरी का परित्याग नहीं किया था|
— सीता का हरण करने के बाद भी सीता के इच्छा के विरुद्ध उसने कभी सीता माता को छुआ तक नहीं और इस विश्वास के सीता भी रावण के पास सुरक्षित थी यह रावण को एक महापुरुष बनाता है|
— भगवान वाल्मिकि ने भी रावण को एक महात्मा कहा था |
— सबसे दिलचस्प बात ये है कि रावण खुद चाहता था कि भगवान राम उसका वध करे इसलिए उसने सीता का जानबूझकर हरण किया और महलो में रखने की बजाय उसे अशोक वाटिका में इसलिए रखा कि कही प्रभु श्रीराम का वचन ना टूट जाए क्योंकि उस समय राम 14 वर्ष का बनवास भोग रहे थे और नगर में जाना उनके लिये निषेध था|
— अपने अंतिम क्षणों में रावण ने लक्ष्मण को कई राजनीतिज्ञ रहस्य बताये जो उससे पहले कोई नहीं जानता था|
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तो दोस्तों , इस तरह से हम कह सकते है कि रावण में बहुत सारी खूबियां भी थी और उस समय के राजा की बात की जाए तो आज रावण के जैसा कोई राजा नहीं है|
यहाँ एक सोचने वाली बात है कि रावण ने सीता माता की इच्छा के विरुद्ध उनको कभी हाथ भी नहीं लगाया था और उसके पास रहते हुए भी सीता माता खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी लेकिन आज के इन रावण का क्या ? जो हमारे समाज में घूम रहे है जहाँ आज न जाने कितनी सीता अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है ?
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क्या इस रावण का वध नहीं होना चाहिये ? जरुर होना चाहिये और मेरे ब्लॉग के सभी रीडर को आज के इस विचार के साथ कि ” हम इस दशहरे पर वचन देते है कि हम इस बार अपने अन्दर के रावण को भी जलाएंगे जिससे कि कोई सीता अपने आप को असुरक्षित ना समझे’, दशहरे की शुभकामनाये|
दोस्तों आपको हमारा आज का ये आर्टिकल ”Dussehra In Hindi” कैसा लगा और दहशरे पर हमारा ये प्रयास कैसा लगा हमें जरुर बताये और इस पोस्ट के बारे में आप अपने विचार इस कमेंट बॉक्स में जरूर दे आप रावण के बारे में क्या सोचते है?
हम आज की इस पोस्ट के लिये लोकेश कुमार जी का धन्यवाद करते है जिन्होंने अपना कीमती समय देकर इस पोस्ट के बारे में अपने विचार दिए और इसे पूरा करने में हमारा सहयोग किया| ये वर्तमान में Marg Software में कार्यरत है और हम इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है| आप यहाँ क्लिक करके उनको Follow कर सकते है|
DUSSEHRA KE BARE ME BAHUT HI ACCHI JANKARI SHARE KI HAI AAPNE
Wow Very Nice Post
Good Job Bro
Bhut hi informative jankari di hai aapne mereko iss article ko read karne se phle itni jankari nhi thi dussehra ke baare me 😀😀😀
Aishi hi aachi aachi information share karte rhiye
Ye आर्टिकल मुghe bhut achha lga
I’m big fan you Mr. Dev rathore
शुक्रिया भाई
Hello dev,
Ye jankari apne bhut Achi di hai aapko dil se thanks