जैविक खाद्य (Organic Fertilizer)
हमारे खेत में बेहतर उपज के लिए ज्यादा रासायनिक खाद के प्रयोग से भूमि की उपज क्षमता ख़त्म होने से मिट्टी बंजर होती जा रही है | भूमि की पानी सोखने की क्षमता भी कम होती जा रही है, जिससे वह और भी कठोर हो रही है | रासायनिक खाद के प्रयोग से तैयार सब्जियाँ खाकर लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे है | एक समय था जब फसल की उपज व पैदावार को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिको ने रासायनिक खाद के इस्तेमाल को उत्तम बताया था |
किन्तु खेती में अधिक रासायनिक खाद के प्रयोग से भूमि में होने वाली नमी में काफी पानी देखने को मिली है, जिससे भूमि में काफी कठोरता आ गई है | इससे बचाव के लिए कृषको का जैविक खाद की ओर आकर्षण देखने को मिली है | आज जैविक खाद कैसे बनाते है, कहाँ कितना इस्तेमाल करना चाहिए इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
क्या होता है जैविक खाद्य (What is organic fertilizer?)
जैविक खाद प्राकृतिक रूप से जंतु तथा वनस्पतियो से प्राप्त किया जाता है, जिसमें कोई कृत्रिम केमिकल मिक्स नहीं हो, उसे जैविक खाद कहते है। वो किसान जो खेती करते है और साथ ही पशुओ को भी पालते है वह पशुओ से निकलने वाले मलमूत्र, गोबर या फिर बचा हुआ चारा, घास व पेड़–पौधों के अवशेषों से बने खाद को जैविक खाद कहते है | यह खाद फसल की उपज और पैदावार के लिए भी उत्तम मानी जाती है, इससे फसल काफी स्वस्थ्य और विषमुक्त होती है | जैविक खाद से भूमि की पैदावार क्षमता भी बढ़ती है | प्रकृति द्वारा उत्पन्न सूक्ष्म जीव तथा जीवो का तंत्र हमारी खेती के लिए काफी सहयोग का काम करती है|
ऐसे किया जाता है जैविक खाद्य तैयार (Method of Preparation of Organic Manure)
खेत में खाद एवं तत्व की पूर्ति के लिए सूक्ष्म जीवो की मदद ली जाती है | यह सूक्ष्म जीव जो कि खेतो में रासायनिक खादों के प्रयोग से जो नष्ट हुई है, उसकी पूर्ती के लिए इसका इस्तेमाल करना पड़ेगा, जिससे खेत में फसल को पोषक तत्व मिल सकें|
दलहन की फसलों में 5-6 पैकेट राइजोबियम कल्चर प्रति एकड़ के हिसाब से डालना होगा | वही एक दाल की फसलों में एजेक्टोबेक्टर कल्चर को इतनी ही क्वांटिटी में डालें | भूमि में उपस्थित फास्फोरस को घोलने के लिए P.S.P कल्चर 6 पैकेट प्रति एकड़ डालना होगा |
यह खाद भूमि की तत्वों में सुधार कर सूक्ष्म जीवो की संख्या में बढ़ोतरी करेगी और हवा का संचार भी बढ़ाएगी जिससे खेती में पानी सोखने तथा धारण करने की क्षमता में भी आसानी होगा और फसलों का अच्छी मात्रा में उत्पादन भी होगा | फसल एवं झाड़ पेड़ो के अवशेष के सभी पोषक तत्व होते है जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है |
जैविक खाद्य को विभिन्न तरीको से बनाया जाता है-
नाडेप विधि द्वारा- इसमें एक नाडेप होनी चाहिए जिसका आकार कुछ इस प्रकार हो : लम्बाई 13 फ़ीट, चौड़ाई 4 फ़ीट, ऊंचाई 2 फ़ीट जैसे आकार का गड्ढ़ा बना ले | इसके बाद इसमें 76% वनस्पति के सूखे अवशेष, 21 प्रतिशत हरी घास, गाजर घास, गाजर घास पुवाल, 6 प्रतिशत गोबर तथा 2010 लीटर पानी | यह सभी चीज़े छोटे-छोटे टुकड़ो में होने चाहिए | इन सभी चीज़ो को पानी में घोल कर अच्छे से फावड़े द्वारा मिक्स करदे |
स्टेप 1 :- सबसे पहले पानी को चार अंगुल तक नाडेप में भर दे | फिर दो अंगुल तक मिट्टी को डाल दे | इसमें कपडा डालें जब पूरा नाडेप भर जाये तब 5 अंगुल मिट्टी से ढांप दें |
स्टेप 2 :- तैयार कचरे के ऊपर 12-16 किलो तक रॉक फास्फेट की परत को बिछाकर पानी में भिगो दें | इसके बाद फिर इसके ऊपर 2 अंगुल तक मोती मिट्टी को बिछाकर पानी डाल दें | भरे हुए गड्ढे पर 5 अंगुल मिट्टी की परत ढाप दें |
स्टेप 3 :- 3 अंगुल नीम पत्ती की मोती परत को कचरे के ऊपर बिछा दें | इसके बाद 61 दिन पश्चात सब्बल में डेढ़ -डेढ़ फुट पर छेद कर 16 टीन पानी में 6 पैकेट P.S.B. तथा 5 पैकेट एजेक्टोबेक्टर कल्चर को घोलकर छेद में भर दें | इसके बाद इन छेदों को मिट्टी से धक् दे।
जैविक खाद्य मटका खाद्य तैयार करने की तरीका (Method of Preparation of Organic Matka Manure)
रसोई के कचरे द्वारा रेडी जैविक खाद:- ग्रामीणों के रसोइयों में उत्पन्न होने वाला कचरा ज्यादा पैमाने पर नहीं होने वाली एरोबिक अपघटन के बारे में बताता है कि उसे कैसे उपयोग में लाया जाये | इस खाद को तैयार करने की विधि की जानकारी निम्न है:-
एक फुट गहरा गड्ढा खोद ले फिर उसमें कैंटीन, होटल, रसोई द्वारा एकत्रित किये हुए कचरे को भर दें | इन अपशिष्ट युक्त गड्ढे में लगभग 251 ग्राम जीवाणुओ को डालें यह जीवाणु उपघटन बढ़ने का काम करते है | इसके बाद पानी और मिट्टी की एक मोती परत को साथ में मिश्रित कर उस पर बिछा दें ताकि नमी की मात्रा बरक़रार रहे | 26 – 30 दिनों के पश्चात् यह अपशिष्ट माइक्रोबियल अमीर खाद के रूप में परिवर्तित हो जायेगा | यह प्रक्रिया प्रत्येक 32 से 36 दिन के अंतराल में दोहराई जा सकती है|
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सूखी जैविक उवर्रक द्वारा निर्मित खाद (Manure Prepared by Dry Organic Fertilizer)
इस तरह की खाद को रॉक फॉस्फेट या समुद्री घास में से किसी एक चीज़ द्वारा प्रिपेयर किया जा सकता है, तथा इन्हे कई तरह के अवयवों के साथ मिलाया जा सकता है| सभी जैव उवर्रक पोषक तत्वों के अधिक सारणी उपलब्ध करते है , कुछ मिश्रण जैसे नाइट्रोजन , पोटेशियम, और फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखने के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए रेडी होते है |
वर्तमान समय में कई तरह के मिश्रण उपलब्ध है जिनकी सहायता से अलग -अलग संशोधन के मिश्रण से खुद ही तैयार कर सकते है |
तरल जैव उवर्रक को बनाने की तरीका (Method of Preparation of liquid Bio Fertilizer)
इस तरह की खाद को समुद्री शैवाल या चाय के पत्तो द्वारा निर्मित किया जाता है | तरल उवर्रक का उपयोग पौधों में उपस्थित पोषक तत्व को बढ़ाने के प्रयोग में लाया जाता है इसके लिए इसमें हर महीने या प्रत्येक 3 सप्ताह के अंतराल में पौधों पर छिड़काव करना चाहिए | स्प्रे के रूप में स्प्रेयर टंकी में तरल जैव उवर्रक के मिश्रण को भर कर स्प्रे करना चाहिए|
विकास बढ़ाने वाले उवर्रक (Growth Enhancer)
समुद्री घास की राख से तैयार एक उवर्रक सिवार होता है जो कि सबसे आम विकास बढ़ाने वाला सूक्ष्म है | यह उवर्रक ज्यादा प्रभावी ढंग से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायता करता है | ये पुराने समय से किसानों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है |
पंचगाव्यम उवर्रक (Panchagavayam Uvrak)
“पंचगाव्यम उवर्रक” शब्द में ‘पंच’ का अर्थ पंच और गाव्यम का अर्थ गाय से उत्पन्न होने वाला तत्व | प्राचीनकाल से ही इस उवर्रक का प्रयोग होता रहा है | इस खाद को इस तरह से रेडी किया जा सकता है :-
स्टेप 1:- एक मटका ले |
स्टेप 2:- उसमे गाय का दूध, दही, मक्खन, घी, मूत्र, गोबर और नारियल डाल कर लकड़ी की छड़ी से अच्छे से मिला दें |
स्टेप 3:- 4 दिनों के लिए मिश्रण युक्त बर्तन को धक् करrakh दें ।
स्टेप 4:- 4 दिनों के बाद इसमें केले और गुड़ को डाल कर मिला दें |
स्टेप 5:- इस पूरे मिश्रण को 22 दिनों तक हर रोज मिलते रहे , तथा मिलाने के बाद मिश्रण के बर्तन को अच्छे से धक् दें |
स्टेप 6:- 22 दिनों के पश्चात जब मिश्रण से गंध आने लगे |
स्टेप 7:- फिर 11 लीटर के मिश्रण में को 202 मिलीलीटर तैयार मिश्रण मिला ले पर पौधों पर स्प्रे करे |
इस तरह से भी कर सकते है जैविक खाद को निर्मित-
- जिलेटिन पौधों के लिए एक ज्यादा मात्रा वाला नाइट्रोजन का स्त्रोत है, इसे बनाने के लिए गर्म पानी के एक कप में जिलेटिन पैकेज भंग कर मिक्स कर दें | प्रयोग के वक़्त ठन्डे पानी के 4 कप को मिला ले | इसके इस्तेमाल डेढ़ महीने के अंतराल में करे | एक बात यह भी है कि सभी पौधे नाइट्रोजन से ही नहीं जन्मते है |
- मछली अपशिष्ट को एक अच्छा उवर्रक बताया गया है | इसलिए मछली घर टैंक से पानी बदलते समय उसके पानी को पौधों में छिड़काव के काम में लाया जा सकता है|
- घर पर जैविक खाद तैयार करना काफी आसान है। आप अपने दैनिक कूड़ेदानों को समृद्ध, जैविक खाद में परिवर्तित कर सकते हैं और इसके साथ फूल, सब्जियां या पौधे उगा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं, घर पर जैविक खाद तैयार करने की सबसे लोकप्रिय तरीका ।
* पॉट कम्पोस्टिंग (Pot Composting)
इस प्रक्रिया में 4 बर्तनों का उपयोग किया जाता है-
- सबसे पहले अपने रसोई घर में अपने घरेलू कचरे को सूखे और गीले को अलग-अलग रखें।
- जब गीला कचरा पात्र भर जाए, तो उसकी सामग्री को प्रथम खाद के बर्तन में डालें।
- इसके बाद सड़ने के प्रोसेस के साथ शुरू करने के लिए अपशिष्ट (Waste) और अर्ध-खाद सामग्री (Semi-compostable Material), छाछ या गाय के गोबर (Cow Dung) के समान मात्रा के सूखे पत्ते डालें।
- ढेर को हर दूसरे दिन बदल दें। ढेर को नमी के सही स्तर पर रखें। अगर ज्यादा गीला हो तो सूखे पत्ते डाल कर चलाएं और अगर ज्यादा सूखा हो तो पानी डालकर चलाएं।
- एक बार जब यह भर जाए, तो कंपोजिशन होने के लिए बर्तन को 31-46 दिनों के लिए खुला छोड़ दें। फिर अर्ध-खाद वाले पदार्थ को एक बड़े कंटेनर या बिन में ले जाएँ।
- 3 माह के बाद यह कचरा समृद्ध खाद (Enriched Manure) में परिवर्तित हो जाएगा जिसे आप खाद के रूप में प्रयोग कर सकते है या इसे बेचा भी जा सकता है।
2. वर्मी कम्पोस्टिंग (Vermi Composting)
यह सूक्ष्म जीव का मल है, जो जैविक कचरे के सेवन के बाद बनता है। इस प्रक्रिया में केंचुए प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन कीड़ों को जीवित रहने और प्रजनन के लिए हवा, पानी, भोजन और गर्मी की जरुरत होती है। इन कीड़ों को जैविक अपशिष्ट पदार्थों से भरे कंटेनरों में डालकर आप वर्मीकम्पोस्ट को निर्मित कर सकते हैं।
- कटा हुआ अखबार (Shredded newspaper), कटा हुआ कार्डबोर्ड, नारियल के रेशे और सूखे गोबर के उपले लीजिए।
- एक बड़ा प्लास्टिक टब (Plastic Tub) लें और इन्हें पानी में भिगो दें, शेष बचे हुए जल को निचोड़ लें और इन सामग्रियों को वर्म बिन के नीचे रख दें।
- इसके बाद कुछ केंचुए उस मिट्टी से निकाले। इसमें आधी-अधूरी खाद डालें और इसमें रसोई का कचरा भी 3 दिन में एक बार डालें।
- इसे मांस (Meat), डेयरी (Dairy), या वसायुक्त भोजन (Fatty foods) न खिलाएं। अपने वर्मीकम्पोस्ट बिन में खट्टे फलों और छिलकों का प्रयोग कम करें|
- अम्लीय (Acidic) कुछ भी उपयोग न करें, फलों और सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, कॉफी के मैदान, टी बैग्स और चाय की पत्तियों का इस्तेमाल करे।
3. बोकाशी विधि (Bokashi Method)
- यह सूक्ष्मजीवों के एक चुनिंदा समूह का उपयोग करता है, जो अवायवीय रूप से जैविक कचरे को किण्वित करता है।
- किण्वन के लिए रसोई के दैनिक अवशिष्ट को एयरटाइट ड्रम में डालें।
- आप अगले दिन रिम के आसपास कीड़ों को देख सकते हैं फिर बोकाशी पाउडर डालें।
- सुनिश्चित करें कि ड्रम में एक नल है जो समय-समय पर उत्पन्न तरल की थोड़ी मात्रा को निकाल सकता है। इस तरल से गुड़, चोकर और सिरके जैसी महक आएगी।
- 16वें दिन के आसपास ड्रम में कुछ सफेद फंगस उग आएंगे जो किण्वन दिखा रहे हैं। सफेद साँचा एक लाभकारी कवक है जो रोगजनकों को दबाने में मदद करता है। यदि आपके पास सफेद फफूंदी है , तो इसका मतलब है कि आपका किण्वन अच्छा चल रहा है
- डेढ़ महीने के लिए बोकाशी ड्रम में रसोई के कचरे को इकट्ठा करें और फिर इसे 18 दिनों तक बैठने दें।
- ड्रम की कुछ सामग्री को अर्ध-निर्मित खाद के साथ मिलाएं और इस मिश्रण को एक टब में डालें।
- 2 खाई खोदें और फिर उसमें गीला कचरा डालें और उसे ढक दें।
- 2 सप्ताह (Three Weeks) के बाद आपकी काली खाद (Black Manure) तैयार हो जाएगी।
4. अंडे के छिलके की खाद (Egg Shell Compost)
- आप अंडे के छिलकों को पानी से धोकर और उन्हें एक खिड़की के सिले पर सुखाकर धीमी गति से निकलने वाली कैल्शियम उर्वरक बना सकते हैं ताकि उन्हें फफूंदी बढ़ने से रोका जा सके। एक बार सूख जाने पर, अंडे के छिलकों को ब्लेंडर में या मोर्टार और मूसल के साथ पीस लें। कांच के जार में स्टोर करें।
- अंडे के छिलकों में लगभग 96% कैल्शियम कार्बोनेट होता है जो चूने के समान घटक है, मिट्टी की अम्लता को कम करने और उर्वरता में सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक लोकप्रिय मिट्टी संशोधन (Soil Amendment) है।
- हालांकि, पारंपरिक तरीकों से तैयार की गई खाद निम्न तरह से विघटित नहीं होती है और इसमें पोषक तत्व की मात्रा कम होती है। अच्छी तरह से सड़ी खाद से खरपतवार और कीड़े कम होंगे।
- जब अपघटित खाद का प्रयोग किया जाता है तो कीट एवं खरपतवार की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। किसानों द्वारा तैयार खाद की औसत नाइट्रोजन सामग्री 0.6% है। उन्नत विधियों का उपयोग करके खाद की नाइट्रोजन सामग्री को 1.6% तक बढ़ा सकते हैं।
जैविक खाद के लाभ (Organic Fertilizer Benefits)
- मिट्टी की उर्वरता के स्तर को बढ़ाये रखता है।
- मिट्टी के पोषक स्तर को बढ़ाता है और मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी की भौतिक स्थिति में बदलाव करता है।
- मिट्टी की अंतः स्यंदन कैपेसिटी को बढ़ाता है, इस प्रकार सतही अपवाह को कम करता है।
- पौधों के पोषक तत्वों (Nutrients) और नमी (Damp) को बनाए रखने में मदद करता है।
- अच्छी तरह से विघटित खाद मिट्टी की प्रतिक्रिया को ठहरता है और मिट्टी के तापमान को आमंत्रित करता है।
- यह मृदा माइक्रोबियल गतिविधि (Microbial Activity) को भी बढ़ता है, जो रासायनिक उर्वरकों के खनिजकरण में सहायता करता है, जिससे वह फसलों के लिए ज्यादा उपयोगी हो जाते हैं।
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